वसंत पंचमी 2022 :- सरस्वती स्तुति मंत्र पाठ संस्कृत | लिरिक्स लेखक

।। सरस्वती स्तुति ।।


Saraswati Mata Image Saraswati Stuti



रवि-रुद्र-पितामह-विष्णु-नुतं,

हरि-चन्दन-कुंकुम-पंक-युतम्।

मुनि-वृन्द-गजेन्द्र-समान-युतं,

तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।


शशि-शुद्ध-सुधा-हिम-धाम-युतं,

शरदम्बर-बिम्ब-समान-करम्।

बहु-रत्न-मनोहर-कान्ति-युतं,

तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।

 

कनकाब्ज-विभूषित-भूति-पवं,

भव-भाव-विभावित-भिन्न-पदम्। 

प्रभु-चित्त-समाहित-साधु-पदं,

तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।। 


भव-सागर-मज्जन-भीति-नुतं,

प्रति-पादित-सन्तति-कारमिदम्। 

विमलादिक-शुद्ध-विशुद्ध-पदं,

तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।। 


मति-हीन-जनाश्रय-पारमिदं,

सकलागम-भाषित-भिन्न-पदम्। 

परि-पूरित-विशवमनेक-भवं, 

तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।। 


परिपूर्ण-मनोरथ-धाम-निधिं,

परमार्थ-विचार-विवेक-विधिम्। 

सुर-योषित-सेवित-पाद-तलं, 

तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।। 


सुर-मौलि-मणि-द्युति-शुभ्र-करं, 

विषयादि-महा-भय-वर्ण-हरम्। 

निज-कान्ति-विलोमित-चन्द्र-शिवं, 

तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।। 


गुणनैक-कुल-स्थिति-भीति-पदं, 

गुण-गौरव-गर्वित-सत्य-पदम्।

कमलोदर-कोमल-पाद-तलं,

तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।


-: इति श्री सरस्वती स्तुति संपूर्णम् :-


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